नई दिल्ली। अकसर हम लोग गूगल प्ले स्टोर से जाने अनजाने एप्स डाउनलोड कर लेते हैं। मगर कई एप्स जोखिम भरे हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो डाउनलोड होने के बाद आपकी जासूसी करने लगते हैं। दो तीन महीने पहले ऐसी खबर आई थी, जो सुर्खियां बनीं और अखबारों के पन्ने में खो गई। एक साइबर सुरक्षा कंपनी ईएसईटी के अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसे ही 12 एंड्रायड एप्स का पता लगाया था। ये एप्स जासूसी के लिए एक समान दुर्भावना कोड साझा करते हैं।
ऐसे कुछ एप्स तो मोबाइल को भी नुकसान पहुंचा चुके हैं। इन एप्स में वज्र स्पाई मैलवेयर पाया गया। यह जासूसी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, कई एप्स तो मैसेजिंग टूल्स हैं। आखिर ये जासूसी एप्स करते क्या हैं। यह जान लें तो आप सतर्क हो जाएंगे। ये एप्स कॉल लॉग, संपर्क नंबर और फाइलें चुरा लेता है। साइबर सुरक्षा कंपनी ईएसईटी की रिपोर्ट में एक गंभीर जानकारी ये भी दी गई है कि कुछ खास एप्स वाट्सएप्स और सिग्नल के संदेश चुराने के साथ फोन के कॉल रिकार्ड कर सकते हैं। यहां तक कि मोबाइल के कैमरे से तस्वीरें भी ले सकते हैं।
कुछ समय पहले आई इस रिपोर्ट से अगर भारतीय उपयोगकर्ता सजग नहीं हुए, तो यह लापरवाही उन पर भारी पड़ सकती है। ईएसईटी टेलिमेट्री डेटा ने इनके बारे में सिर्फ मलेशिया से पता लगाया था। बाद में पता चला कि एप्स के निशाने पर न केवल भारत के मोबाइल उपयोगकर्ता हैं बल्कि पड़ोसी मुल्क के भी लोग हैं। ईएसईटी ने बताया है कि ऐसे 12 एप्स गूगल प्ले स्टोर पर थे। यह बात और है कि गूगल ने ऐसे संदिग्ध सभी एप्स हटा दिए। फिर किसी उपयोगकर्ता ने इन्हें डाउनलोड किया हो उसे स्वयं अनइंस्टाल हटा देना चाहिए।
कुछ एप्स तो ऐसे लुभावने थे जिसे देख कर लोगों ने सचमुच डाउनलोड कर लिया होगा। जैसे मीट मी, प्राइवेट टॉक, लेट्स चैट, हेलो चैट आदि। इसी तरह कुछ संदिग्ध एप्स थे जैसे ट्रैक योर स्लीप, एस्ट्रोलॉजिकल नेविगेटर, डेली होरोस्कोप, साउंड वोल्यूम एक्सटेंडर और काउंट इजी कैलोरी कैलकुलेटर आदि।
ईएसईटी ने तो यहां तक कहा कि पीड़ितों से हनी ट्रैप स्कैम के जरिए भी संपर्क किया गया। इस रिपोर्ट के बाद स्मार्टफोन उपयोग करने वाले काफी लोग सतर्क हो गए थे। मगर क्या पता किसी दूसरे नाम से एप्स फिर से सक्रिय हो गए हों। जाहिर है कि सावधानी अब भी बरतने की जरूरत है।