नई दिल्ली। प्रतिष्ठित पंजाबी कवि और लेखक सुरजीत पातर नहीं रहे। बीते शनिवार 11 मई को उनका निधन हो गया। वे 79 साल के थे। उनके परिवार के मुताबिक सुबह उन्हें पत्नी ने जगाया तो वे नहीं उठे। डाक्टरों ने जांच दौरान ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। लेखक पातर के परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। जिनमें से एक विदेश में रहता है। बेटे के विदेश से लौटने के बाद पातर के अंतिम संस्कार होने की बात कही गई है।

सुरजीत पातर को 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उनकी चर्चित काव्य रचनाओं में ‘हवा विच लिखे हर्फ’, ‘लफ्जां दी दरगाह’, ‘हनेरे विच सुलगदी वरनमाला’ और ‘पतझड़ दी पाजेब’ प्रमुख हैं। पातर पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष भी थे। उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार के अलावा सरस्वती सम्मान और पंचनद पुरस्कार भी मिल चुका था।

कई साहित्यकारों ने पातर के निधन को पंजाबी साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति बताया है। राजनेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है। पातर लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में पंजाबी भाषा के प्रोफेसर रहे। पातर के निधन पर गायक हरभजन सिंह और पंजाबी अभिनेता गुरप्रीत घुग्गी ने भी शोक जताया है। पंजाब के नेताओं ने कहा कि पातर के जाने से पंजाबी साहित्य में शून्य पैदा हो गया है।

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