नई दिल्ली। कोई चार महीने पहले की बात है। ईरान में चार ईरानी नागरिकों को फांसी दी गई। इनमें एक महिला •ाी थी। क्या था इनका कसूर? ईरान की सरकार का आरोप था कि ये स•ाी इजराइल की खुफिया एजंसी के लिए जासूसी कर रहे थे। जाहिर है कि यह गं•ाीर आरोप था और इसके लिए उन्हें कड़ा दंड दिया गया।
जिन लोगों को फांसी दी गई उनके नाम रहमान, अरम ओमेरी और वफा हानारेह बताए गए। जबकि महिला का नाम नसीम था। इन स•ाी को फांसी पर लटकाने से पहले एक आदेश पढ़ कर सुनाया गया। उनसे यह •ाी कहा गया कि आप स•ाी ने यहूदियों के लिए देश से विश्वासघात किया है। बता दें कि इन्हें सजा दिए जाने से चंद घंटे पहले इनके परिवारों को सूचना दी गई।
ईरान सरकार का दावा है कि यहूदियों के लिए जासूसी करते हैं। इसके लिए इन गद्दारों को हजारों डालर दिए जाते हैं। ऐसे में इन लोगों को माफ नहीं किया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले •ाी इजराइल के लिए जासूसी करने वाले कई लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी है। मगर इसकी पूरी खबर सामने नहीं आई। न ही ईरान की सरकार ने क•ाी पुष्टि की।
ईरान में लोगों को फांसी देना आम बात है। इसके विरोध में दुनिया •ार के मानवाधिकार संगठन आवाज उठाते रहे हैं। इससे पहले ईरान में एक ऐसी महिला को फांसी दी गई थी। वह उस देश के कानून की नजर में गुनहगार थी, लेकिन इंसाफ की देवी की नजर में वह बेगुनाह थी। समीरा नाम की इस लड़की की 15 साल की उम्र में जबरन शादी करा दी गई। उसने दस साल तक पति का अमानवीय अत्याचार सहा। एक दिन खुद को बचाने की कोशिश में उसने अपने शौहर की हत्या कर दी थी। वह कितना मार्मिक दृश्य रहा होगा जब फांसी पर लटकने से पहले उसने अपने बच्चों को गले लगा कर अलविदा कहा होगा। इस घटना को लेकर स्त्रियों से •ोद•ााव की काफी चर्चा रही।
ईरान में पिछले 13-14 सालों में कोई दो सौ महिलाओं को फांसी दी गई है। पिछले ही साल ईरान सरकार ने 18 महिलाओं को सजा-ए-मौत दी। जबकि इससे पहले 2022 में आठ पुरुषों को मौत की सजा दी गई। इस मामले में ईरान जरा •ाी किसी की नहीं सुनता। इसकी वजह वह देश का कड़ा कानून बताता है। यहां तक कि वह बड़े देशों की अपील तक ठुकरा देता है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग ने समीरा की मदद के लिए पहल की थी। मगर ईरान ने उसकी एक नहीं सुनी। मोसाद के जासूस बता कर चार लोगों को फांसी दिए जाने से एक बार दुनिया के मानवाधिकार संगठन फिर सकते हैं।