जासूस डेस्क
नई दिल्ली। रूस के जासूसों से अमेरिका और ब्रिटेन के बाद जर्मनी भी सतर्क है। पिछले दिनों जर्मनी की विदेश मंत्री को यह कहना पड़ा कि उनके देश में रूस की साइबर जासूसी असहनीय है। इसके लिए उसे परिणाम भुगतने होंगे। जर्मनी का आरोप है कि रूसी सैन्य एजंट चांसलर ओलाफ स्कोल्ज की पार्टी के शीर्ष पदों पर आसीन नेताओं और संवेदनशील सरकारी तथा औद्योगिक ठिकानों को निशाना बनाए हुए हैं। रूस इनकी साइबर जासूसी कर रहा है। इस आरोप और चेतावनी के बाद दोनों देशों के बीच फिर तनाव बढ़ गया है।

जर्मनी और रूस के बीच संबंधों में पहले से ही तनाव है। यह सर्वविदित है कि रूसी हमले से तबाह यूक्रेन को जर्मनी कई तरह की सैन्य मदद कर रहा है। पिछले दिनों जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने एडिलेड में कार्यक्रम के दौरान कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुक घटक सोशल डेमोक्रेट्स के ई-मेल हैक करने के पीछे रूस के सैन्य साइबर जासूसों की साजिश थी। यह हैकिंग महीनों तक चली, जिसका ब्योरा अधिकारियों ने दिया है।  

जर्मनी के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि रूस की यह साइबर जासूसी और हैकिंग की मुहिम मार्च 2022 से चल रही थी। रूस ने यह साजिश यूक्रेन पर उसके सैन्य हमले के एक महीने बाद ही शुरू कर दी थी। पता चला कि जर्मनी की सोशल डेमोक्रेट पार्टी के मुख्यालय में सेंध लगा कर ई-मेल की जानकारियां हासिल कर ली थीं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि रूसी एजंटों की नजर रक्षा और विमानन क्षेत्रों के अलावा जर्मनी की बड़ी-बड़ी कंपनियों पर थी।

आस्ट्रेलिया के एडिलेड शहर में जर्मनी की विदेश मंत्री बेयरबॉक ने पत्रकारों से कहा कि रूस के आधिकारिक हैकरों ने साइबरस्पेस में जर्मनी में हमले किए। इस पूरी हैकिंग के लिए रूस की खुफिया सेवा को दोषी ठहराया। बायरबॉक ने इस हरकत को बिल्कुल अस्वीकार्य बताया। उन्होंने चेताया कि रूस को इसके लिए परिणाम भुगतने होंगे। हालांकि उन्होंने यह नहीं कहा कि वो कौन से गंभीर नतीजे होंगे।

जर्मन सरकार ने एक अलग से भी अपना बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि रूसी हैकिंग लंबे समय तक चली। सरकारी दफ्तरों को निशाना बनाया गया। सोशल डेमोक्रेट्स में भी सेंध लगाई गई। कहा तो यह भी गया कि यूरोपीय संघ की परिषद और चेक विदेश मंत्रालय को भी इन्हीं साइबर जासूसों ने निशाना बनाया। इस घटना को लेकर यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिक जोसेफ बोरेल ने कड़ी निंदा की। यूरोपीय संघ ने कहा है कि इस तरह के साइबर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नाटो ने तो सदस्य देशों पर सक्षित हमले का आरोप लगाया।  

तस्वीर : जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक

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