जासूस डेस्क
नई दिल्ली। चीन के जासूसों से पूरी दुनिया चिंतित है। उसकी खुफिया इकाई हो या जासूसी पोत। विमान से लेकर गुब्बारे और उसके साइबर नेटवर्क। उसके ये तमाम साधन कई बड़े देशों को परेशान किए हुए हैं। यही वजह है कि खासकर पश्चिमी देश और उनकी खुफिया एजंसियां लगातार सतर्कता बरत रही हैं। सभी का ध्यान चीन पर है। कहीं वह उनके गोपनीय जानकारी न हासिल कर ले। इसी कड़ी में ब्रिटेन ने भी चिंता जताई है। उसकी खुफिया इकाई जीसीएचक्यू के मुखिया ने तो चीनी हरकतों को इस युग की बड़ी चुनौती बताया है।  

बता दें कि पिछले दिनों ब्रिटेन ने चीनी राजदूत को विदेश मंत्रालय बुला कर खुफिया एजंसियों की हरकतों पर चिंता जताई थी। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि तीन लोगों पर हांगकांग की खुफिया एजंसियों की मदद करने का आरोप लगा था। इन पर चीन के लिए जासूसी करने की बात सामने आ रही है। जासूसी के कारण कुछ लोगों की गिरफ्तारी से चीन और पश्चिमी देशों के बीच तनातनी सामने आ गई है। अमेरिका पहले ही सतर्क है। अब कुछ बड़े देशों के साथ पश्चिमी देशों का भी माननाा है कि चीन की जासूसी को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

आखिर क्यों डरे हुए हैं देश
आखिर चीन से क्यों डरे हुए हैं कई देश। दरअसल, इसके पीछे चीनी राष्ट्रपति का वह संकल्प है जिसमें उन्होंने कहा है कि उनका देश नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देना चाहता है। यही वजह है कि पश्चिमी देशों को लगता है कि यह उनकी प्रभुता को चुनौती होगी। ब्रिटेन की खुफिया सेवा एमआई6 के प्रमुख ने तो यहां तक कहा है कि चीन अमेरिका के वर्चस्व को खत्म करने की मंशा रखता है।

दरअसल, चीन जासूसी करके कई देशों को न केवल आर्थिक-राजनीतिक रूप से प्रभावित करना चाहता है, बल्कि रक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी मामले में भी उनसे आगे रहना चाहता है और वह उनसे हर सूचनाएं हासिल करना चाहता है। यह बात पश्चिमी देशों को सालों बाद समझ में आई। दूसरी ओर कोई भी देश चीन की जासूसी आसानी से नहीं कर पाता है। चीन की तकनीक पश्चिमी देशों के विपरीत है। इसलिए इन देशों को उसकी खुफियागीरी करने में दिक्कत आती है।

विश्व शक्ति के रूप में चीन पिछले दो दशकों में उभरा है। इस बीच ज्यादातर पश्चिमी देश दूसरे मसलों में घिरे रहे। खुद अमेरिका इराक और अफगानिस्तान में फंसा रहा। हालांकि वहां से वह खाली लौटा। पश्चिमी देश भी इसी मसले पर उसके साथ उलझे रहे। एक तरफ चीन की बढ़ती जासूसी दूसरी तरफ रूस का फिर आक्रामक होना, ये दोनों बातें अब पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय है। क्या ही अजब बात है कि एक तरफ चीन जासूसी कर रहा है, वहीं वह प्रतिद्वंद्वी देशों से कारोबार भी करना चाहता है।

आखिर चीन चाहता क्या है?
यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर चीन चाहता क्या है। यह समझने की जरूरत है। वह कई देशों के साथ व्यापार करना चाहता है  तो वह उनकी प्रगति पर भी नजर रखना चाहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन लगातार आर्थिक विकास के साथ दुनिया भर में जासूसी करता फिरता है। कहा तो ये भी जाता है कि पूरी दुनिया में छह लाख लोग चीन के लिए जासूसी करते हैं। सच तो यही है कि इतने जासूस तो किसी भी देश की खुफिया सेवा से नहीं जुड़े हैं। यही वजह है कि दुनिया भर के देश चीन से घबराते हैं। 

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