जासूस डेस्क
नई दिल्ली। हेलिकॉप्टर हादसे में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद शक की सुई इजराइल की खुफिया एजंसी ‘मोसाद’ की ओर घूम गई है। हालांकि अभी कोई सबूत नहीं है। सवाल यह है कि खराब मौसम में तीन हेलिकॉप्टर उड़े थे, मगर ईरानी राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर ही क्यों हादसे का शिकार हुआ? इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस घटना के बाद पूरी दुनिया में तनाव बढ़ने का अंदेशा है। क्योंकि ईरान की चीन और रूस से दोस्ती है और दूसरी ओर इजराइल और अमेरिका के साथ पश्चिमी देश हैं। दो समूह में बंटे देश महासंग्राम की ओर बढ़ सकते हैं।
बीते रविवार की शाम पहाड़ी इलाके को पार करते समय रईसी का हेलिकॉप्टर दुर्घनाग्रस्त हो गया था। उस समय अंधेरा था और कोहरा छाया था। हेलिकॉप्टर में राष्ट्रपति के साथ विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियन और सुरक्षा प्रमुख, एक गवर्नर के अलावा नौ लोग सवार थे। इन सबकी मौत हो गई। राष्ट्रपति के काफिले में तीन हेलिकॉप्टर थे। इब्राहिम रईसी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खमेनी के बेहद करीबी थे। वे उनके उत्तराधिकारी भी थे।
ईरानी राष्ट्रपति अजरबैजान की सीमा पर एक बांध का उद्घाटन करने गए थे। लौटते समय यह हादसा हुआ। इस घटना के बाद ईरान में शोक की लहर फैल गई है। बताया गया कि पहाड़ियों के बीच हुआ हादसा अजरबैजान की सीमा के बिल्कुल पास है। उस समय मौसम खराब था। बारिश के कारण बचाव कार्य में देरी आई। इस हादसे की सूचना मिलने पर पूरा ईरान अपने राष्ट्रपति की सलामती के लिए दुआएं कर रहा था, मगर कुछ ही घंटे बाद उनके निधन की खबर आ गई।
कुछ दिनों पहले ही इजराइल के साथ ईरान की तनातनी हुई थी। यह इतनी बढ़ गई थी कि ईरान ने इजराइल पर मिसाइलों से ताबड़तोड़ हमले किए थे। इस हमले के दौरान इजराइल ने पूरे दमखम से जवाब दिया था और सभी मिसाइलों को नाकाम कर दिया था। इस हमले के बाद इजराइल ने बदला लेने का संकल्प किया था। उस समय मोसाद को धक्का लगा था। क्योंकि इजराइल की खुफिया एजंसी को पहले से इस हमले की भनक तक नहीं लग पाई और अपने नेतृत्व को सतर्क नहीं कर पाया।
ईरानी राष्ट्रपति की मौत को लेकर अब कई पहलुओं से चर्चा हो रही है। अगर इस हादसे को साजिश के तहत देखा जाता है तो उंगली इजराइल की खुफिया एजंसी पर उठनी स्वाभाविक है। वैसे भी मोसाद बदला लेने के लिए किसी भी सीमा को पार कर अपने दुश्मन को उसके अंजाम तक पहुंचा देता है। दूसरी ओर यह भी सबको पता है कि अजरबैजान से इजराइल के बहुत अच्छे संबंध हैं। दोनों देशों की खुफिया एजंसियां एक दूसरे को सूचनाएं साझा करती हैं। यह भी संयोग है कि ईरानी राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर अजरबैजान की सीमा के पास पहाड़ियों में दुर्घटना का शिकार हुआ। ईरान और अजरबैजान के बीच तल्ख रिश्ते हैं। यह किसी से छिपा नहीं है। तो क्या अजरबैजान ने इजराइल को कोई खुफिया जानकारी दी? यह भी एक सवाल है।
अब लगातार सवाल उठ रहे हैं कि क्या ईरान के राष्ट्रपति रईसी इब्राहीम इजराइल और अजरबैजान की साजिश के शिकार हो गए हैं। क्या मोसाद ने उनको निशाना बनाया। सवाल कई हैं? मगर अमेरिका अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। क्योंकि उसकी खुफिया एजंसी को इस संबंध में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। वैसे उंगलियां अमेरिका पर भी उठ रही हैं। अलबत्ता ईरान ने अपनी जांच शुरू कर दी है। क्योंकि वहां का एक वर्ग इसे साजिश मान रहा है। संदेह इसलिए कि एक ही खास हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार क्यों हुआ? अगर इजराइल के मोसाद का नाम आता है, तो फिर यह गंभीर बात होगी। मध्य पूर्व में संग्राम छिड़ने का अंदेशा रहेगा। फिलहाल उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को ईरान का नया राष्ट्रपति बनाया गया है। वहां पांच दिन का शोक घोषित किया गया है।
भारत ने भी इस घटना पर अपनी संवेदना जताई है। यहां एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।