हेल्थ डेस्क
नई दिल्ली। मोबाइल रेडिएशन पर कई रिसर्च पेपर तैयार कर चुके आइआइटी बॉम्बे में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रो. गिरीश कुमार का कहना है कि मोबाइल रेडिएशन से तमाम दिक्कतें हो सकती हैं जिनमें प्रमुख हैं सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकाना, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में सूखापन, काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन और जोड़ों में दर्द आदि।
कितनी देर मोबाइल का इस्तेमाल ठीक है?
यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर कितनी देर मोबाइल के नजदीक रहें। दिन भर में 24 मिनट तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल सेहत के लिहाज से मुफीद है। लंबे वक्त तक बातचीत के लिए लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल रेडिएशन से बचने का आसान तरीका है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि आॅफिस या घर में लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करें। कॉर्डलेस फोन के इस्तेमाल से एकदम बचें।
क्या कहते हैं आंकड़े
-2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुसंधान में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है।
-हंगरी में विज्ञानियों ने पाया कि जो युवक बहुत ज्यादा सेल फोन का इस्तेमाल करते थे, उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई।
-जर्मनी में एक अनुसंधान के मुताबिक जो लोग ट्रांसमीटर एंटिना के 400 मीटर के एरिया में रह रहे थे, उनमें कैंसर होने की आशंका तीन गुना बढ़ गई। 400 मीटर के एरिया में ट्रांसमिशन बाकी एरिया से 100 गुना ज्यादा होता है।
-केरल में किए गए अनुसंधान के अनुसार सेल फोन टॉवरों से होनेवाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की संख्या 60 फीसद तक गिर गई है।
-सेल फोन टावरों के पास जिन गौरेयों ने अंडे दिए, 30 दिन के बाद भी उनमें से बच्चे नहीं निकले जबकि आमतौर पर इस काम में 10-14 दिन लगते हैं। गौरतलब है कि टावर्स से काफी हल्की फ्रीक्वेंसी (900 से 1800 मेगाहर्ट्ज) की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स निकलती हैं, लेकिन ये भी छोटे चूजों को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
-2010 की इंटरफोन स्टडी इस बात की ओर इशारा करती है कि लंबे समय तक मोबाइल के इस्तेमाल से ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है।
क्या कम सिग्नल हो सकते हैं घातक?
अगर सिग्नल कम आ रहे हों तो मोबाइल का इस्तेमाल न करें क्योंकि इस दौरान रेडिएशन ज्यादा होता है। पूरे सिग्नल आने पर ही मोबाइल का इस्तेमाल करना चाहिए। मोबाइल का इस्तेमाल खिड़की या दरवाजे के पास खड़े होकर या खुले में करना बेहतर है क्योंकि इससे तरंगों को बाहर निकलने का रास्ता मिल जाता है। (स्रोत : मोबाइल रेडिएशन स्टडी, साइंस टुडे और हील इनिशिएटिव)