-वंदना मौलश्री
मेरे अंगना में नीम की छैंयां
झूमे बगल अमरैया
शोर मचावे चिरैया
बरगद की फैली छैंयां
ठंडी बहे पुरवैया
लगे चौपाल दुपहरिया
कदंब डार बैठे कन्हैया
छांव में बैठी गैया मैया
सुस्ताए रए धेनु चरैया
बाग बगीचा तुम जो लगैहों
अंगना आ है बंसी बजैया
जमना तीरे जो रास रचावे
देख हरियाली मन हरषावे
रेवा कूले वो सोहे कन्हैया
लगाएं कदंब नीम गुड़हलिया
बड़ की है छैंया, आम पे कूके कोयलिया
सावन जब हुलसे तो झूम के बरसे
धानी चूनर ओढ़े धरती मैया
हलधर जो खुश हैं, तो हम भी खुश हैं
धन धान्य से भर गईं सबकी कुठरियां
मौलश्री करे विनती, वृक्ष लगाओ
आ जाए डाल पर सोन चिरैया।
(वंदना मौलश्री मध्य प्रदेश से हैं। वे लेखिका और पर्यावरण मित्र हैं।)