जासूस डेस्क
नई दिल्ली। हमास हमले के बाद से इजराइल की मशहूर खुफिया एजंसी मोसाद के सितारे धूमिल पड़ रहे हैं। ईरान के हमले के बाद तो उसकी सजगता पर सवालिया निशान लग गया। मगर इस बीच तुर्किए ने भी उसे सबक सिखाया। कोई छह महीने पहले इस मुसलिम देश ने 33 इजराइली जासूस को पकड़ने का दावा किया था। तुर्किए का दावा था कि  इजराइल सरकार का विरोध करने वालों की जासूसी के लिए  मोसाद ने इनको भेजा था। इसके बाद इस देश ने जासूसों की धड़पकड़ शुरू कर दी।

जैसा कि सबको पता है कि इजराइल हमास के बीच संघर्ष के कारण कई मुसलिम देश प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ हो गए हैं। लेबनान और ईरान के बाद तुर्किए भी इसमें शामिल हो गया है। तुर्किए का आरोप है कि इजराइल अपने विरोधियों की जासूसी करा रहा है। यह आरोप आने के बाद जासूसी के मामले में 33 इजराइली जासूसों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उनकी भी धड़पकड़ हुई। जिनके बारे में माना गया कि  उनके संबंध इजराइल की खुफिया एजंसी से है। इन सबके बारे में तुर्किए का मानना है कि इन जासूसों को मोसाद ने ही भेजा था।

इजराइली जासूसों की गिरफ्तारी के बाद बेंजामिन नेतन्याहू को भी तुर्किए ने चेताया था। उसकी इस कार्रवाई के बाद से मोसाद का हौसला कहीं न कहीं  टूटा है। तुर्किए अब भी इन सारे जासूसों को पकड़ने की कोशिश में है जो अभी भी कहीं न कहीं छिपे हुए हैं। फिलहाल उसने सात प्रांतों के अलावा इंस्ताबूल से सभी जासूसों को पकड़ा था।

क्या कर रहे थे ये जासूस
इजराइल की खुफिया एजंसी मोसाद ने तुर्किए में रहने वाले फिलिस्तीनियों की जासूसी करने के लिए कुछ लोग भर्ती किए थे। वहां इनका काम उन लोगों की जासूसी करना था जो इजराइल के विरोधी थे। और जो इजराइल सरकार की निंदा करते थे। यह भी पता चला कि जिन जासूसों की इजराइल ने भर्ती की थी उनसे सोशल मीडिया पर संपर्क किया गया। दरअसल, इनकी नेटवर्किंग तुर्किए ने पकड़ी और तमाम जासूसों को पकड़ लिया।  

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