साहित्य डेस्क
नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि सुरजीत पातर को पंजाबी का नहीं, भारतीय कवि मानना चाहिए। उनकी कविताओं में जीवन के सूत्र थे। हम पंजाब के 50 साल की संवेदना को उनकी कविताओं में महसूस कर सकते हैं। वे पातर की याद में हुई स्मृति सभा में बोल रहे थे। इसका आयोजन आभासी मंच पर किया गया।

माधव कौशिक ने कहा कि सुरजीत पातर के निधन से भारतीय साहित्य की अपूरणीय क्षति हुई है। वह स्वयं में संपूर्ण साहित्यकार थे। वे सच्चे मायने में पंजाब के स्वर थे। इस मौके पर साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासन ने कहा कि सुरजीत पातर देश के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक थे। वे एक अच्छे कवि होने के साथ एक बेहतर अनुवादक भी थे। उनसे आने वाली पीढ़ियां आलोकित होती रहेंगी।

इस मौके पर बलदेव सिंह ग्रेवाल ने कहा कि सुरजीत अपनी कविताओं के माध्यम से पूरे ब्रह्मांड में प्यार भरना चाहते थे। जबकि खालिद हुसैन ने कहा कि उन्हें सूफी अथवा फकीर कहना कहीं बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि सुरजीत की कविताओं में पांच दरियाओं की लहरें दिखती थीं। इंग्लैंड की ज्योति सिंह ने कहा कि सुरजीत पातर के जाने से पंजाबी भाषा के शब्द उदास गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके शब्दों में पंजाब का दर्द था। सही मायने में वे पूरी दुनिया के शायर थे।

स्मृति सभा में उपस्थित अमरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि सुरजीत पातर सिर्फ कवि नहीं थे, एक दाशनिक और चिंतक भी थे। उनकी कविताओं का दायरा बड़ा था। उसका छोर पकड़ना मुश्किल था। वहीं पंजाबी परामर्श मंडल के संयोजक रवेल सिंह ने कहा कि उस स्मृति सभा में अनेक देशों के साहित्यकारों का जुड़ना साबित करता है कि वे केवल पंजाब के ही नहीं पूरी दुनिया के कवि थे। इस अवसर पर वनिता ने कहा कि सुरजीत पातर को सभी भाषाओं से प्यार था। वे मानवता के सच्चे पैरोकार थे। 

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *