जासूस डेस्क
नई दिल्ली। रूस की आक्रामकता उसी पर भारी पड़ रही है। यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया भर में उसकी छवि चीन और उत्तर कोरिया की तरह बन रही है। विश्व के कई बड़े देशों की उस पर नजर है। वहीं कई खुफिया एजंसियां मास्को के हर कदम पर नजर रख रही हैं। इनमें जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कद्दावर देश शामिल हैं। दूसरों की जासूसी में रुचि रखने वाले मास्को के अधिकारी अब अपने यहां जासूसों की घुसपैठ से परेशान हैं।

पिछले दिनों रूस की शीर्ष आपराधिक जांच एजंसी ने बताया कि सैन्य संबंधी जानकारी एकत्र करने के आरोप में उसने फ्रांस के एक नागरिक को गिरफ्तार किया है। मास्को ने यह कार्रवाई ऐसे समय की है जब वह यूक्रेन से युद्ध में उलझा हुआ है। इस कार्रवाई से मास्को और फ्रांस के बीच संबंध और भी तनावपूर्ण हो गए हैं। फ्रांसीसी नागरिक की गिरफ्तारी के बाद यह तनाव और बढेगा। यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब फ्रांस डी-डे की 80वीं सालगिरह मना रहा था। उसने दुनिया के कई बड़े नेताओं को बुलाया, मगर रूस को न्योता नहीं भेजा।

उधर, रूस की जांच एजंसी ने फ्रांसीसी नागरिक की गिरफ्तारी के बाद उसकी पहचान उजागर नहीं की। उस पर आरोप है कि उसने अधिकारियों के पास अपना पंजीकरण नहीं कराया था। आरोपी जिस तरह से सैन्य-तकनीकी सूचनाएं इकट्ठा की थीं उससे देश की सुरक्षा को नुकसान हो सकता था। रूस की सरकारी समाचार एजंसी ‘टास’ ने फ्रांस के इस नागरिक की पहचान लॉरेंट के रूप में की है। उसे जिनेवा स्थित एक गैर सरकारी संगठन ‘एचडी’ का सलाहकार बताया। ‘एचडी’ ने अपने सहयोगी के रूस में हिरासत में होने की बात कही है। उसने कहा है कि वे लॉरेंट की रिहाई के लिए काम कर रहे हैं।

इस बीच लॉरेंट के बचाव में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों आगे आए। उन्होंने टीवी प्रसारण में कहा कि हमारा नागरिक वहां किसी भी तरह से फ्रांस के लिए काम नहीं कर रहा था। वह संयुक्त राष्ट्र के पूर्व प्रमुख कोफी अन्नान की ओर से खोले गए एक स्विस एनजीओ के लिए काम करता है। राष्ट्रपति मैक्रों ने यह भी कहा कि लॉरेंट को राजनय सुरक्षा मिल रही है।

दूसरी ओर रूसी जांच एजंसी ने एक वीडियो जारी किया है। इसमें कुछ अधिकारी एक कैफे में लॉरेंट को हिरासत में लेने के बाद उससे पूछताछ करते दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद आरोपी को जांच एजंसी के दफ्तर में ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। लॉरेंट पर जो आरोप लगाए गए हैं, अगर वे साबित हुए तो पांच साल की उसे सजा हो सकती है। उस पर लगे आरोप हाल में मंजूर एक कानून पर आधारित है। इसके मुताबिक सैन्य संबंधी कोई भी सूचना इकट्ठा करने वाले किसी भी व्यक्ति को विदेशी एजंट के रूप में प्राधिकारियों के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

यह संयोग नहीं है कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद रूस में जासूसी और संवेदनशील जानकारियां चुराने वाले संदिग्ग्ध जासूसों की गिरफ्तारियां बढ़ गई हंै। इससे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार इवान गेर्शकोविच को गिरफ्तार किया गया था।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *