तुम्हारी ही लिखावट हूं मां
-संतोषी बघेल जब-जब खुद को निहारती हूं,एक झलक उनकी उभर जाती है,वो जो दीवार में तस्वीर टंगी है न,आज भी जैसे देख मुस्कुरा रही है।तुम्हारी अनुकृति मैं,तुम सी होकर भी,मैं…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
-संतोषी बघेल जब-जब खुद को निहारती हूं,एक झलक उनकी उभर जाती है,वो जो दीवार में तस्वीर टंगी है न,आज भी जैसे देख मुस्कुरा रही है।तुम्हारी अनुकृति मैं,तुम सी होकर भी,मैं…
अंजू खरबंदा "सुना आपने कुछ! पिताजी ने घर के कागजात दीदी के घर रखवा दिए हैं।" पत्नी कुलबुलाती सी मेरे पास आकर बोली। "तुम्हें किसने कहा।" शांत लहजे में मैंने…
जासूस डेस्कनई दिल्ली। कांगो ने जासूसी के आरोप में ताउम्र कैद की सजा पाए पोलैंड के एक नागरिक को रिहा कर दिया है। अब वह स्वदेश लौट गया है। यह…