साहित्य संवाददाता
नई दिल्ली। वर्तमान दौर में हिंदी के कई लेखक फेसबुकिया विमर्श में समय बर्बाद कर रहे हैं। इन दिनों महत्त्वपूर्ण रचनाओं का सृजन नहीं हो रहा है। वे पूर्वज साहित्यकारों की विरासत कोभी आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। विख्यात लेखक विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा के पचास साल पूरे होने पर दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में प्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंद्र ने जताई। उन्होंने आवारा मसीहा को कालजयी कृति बताते  हुए कहा कि भारतीय लेखक विदेशी बिंबों और प्रतीकों में खो गए हैं।

 उन्होंने कहा कि ज्यादातर जीवनी लेखक जिनके जीवन पर लिखते हैं, वे उनकी महानता के यशोगान करने में कोई कमी नहीं छोड़ते लेकिन उनके भीतर के सामान्य आदमी को सामने नहीं ला पाते हैं। लेकिन आवारा मसीहा में ऐसा नहीं हुआ है।

इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक यशपाल के पुत्र आनंद, कुसुम शाह, अरुण कुमार पासवान और विष्णु प्रभाकर के परिजनों सहित राजधानी के कई गणमान्य और युवा लेखक-पत्रकार मौजूद थे।

समारोह में साहित्य के लिए सिनीवाली, संजय शेफर्ड और विनय विक्रम सिंह को विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया। पत्रकारिता के लिए मृणाल वल्लरी, शिक्षा और समाज सेवा के लिए सुमन शर्मा, संगीत के लिए राजेश सिंह नेगी और महिला सशक्तीकरण के लिए पुष्पा और दुनिया भर में गांधी के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए राम मोहन राय विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय सम्मान से नवाजे गए।

विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के मंत्री अतुल प्रभाकर ने स्वागत भाषण कहा कि अब तक आवारा मसीहा की हजारों की संख्या में प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। अनेक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में आवारा मसीहा शामिल हैं। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने किया। समारोह का आयोजन गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा और विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान द्वारा संचालित सन्निधि संगोष्ठी ने किया। सन्निधि संगोष्ठी द्वारा पिछले दस सालों में अब तक साहित्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करने वाली सौ से अधिक युवा हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है।

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शिक्षा और समाज सेवा के लिए सुमन शर्मा, संगीत के लिए राजेश सिंह नेगी और महिला सशक्तीकरण के लिए पुष्पा सम्मानित किया गया।

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