साहित्य डेस्क
नई दिल्ली। कृष्ण प्रताप कथा सम्मान 2023 इस बार युवा कथाकार किंशुक गुप्ता मिलेगा। हिंदी साहित्य का यह प्रतिष्ठित सम्मान उनके हालिया प्रकाशित कहानी-संग्रह ‘ये दिल है कि चोर दरवाजा’ के लिए दिया जा रहा है। सम्मान समिति के सहसंयोजक ज्ञानचंद बागड़ी के मुताबिक कृष्ण प्रताप कथा सम्मान के लिए संयोजक संजय श्रीवास्तव की ओर से गठित वरिष्ठ साहित्यकारों की तीन सदस्यीय निर्णायक समिति ने यह निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि निर्णायक समिति में विभूति नारायण राय, दिनेश कुमार शुक्ल और भारत भारद्वाज ने इस सम्मान के लिए आमंत्रित कृतियों पर विचार करते हुए यह सम्मान किंशुक गुप्ता की इस पुस्तक को देने की घोषणा की है।
बागड़ी के बताया कि यह कहानी-संग्रह ‘ये दिल है कि चोर दरवाजा’ वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। किंशुक की खासियत है कि वे अस्मितामूलक कहानी को भी लगातार ध्वनि और रस से सिंचित रखते हैं। एक क्षण भी कथा-विन्यास ढीला नहीं पड़ता। वे एलजीबीटीक्यू प्लस की विवशताओं, समस्याओं और चुनौतियों में ही नहीं बल्कि जीवन की आह्लादक स्थितियों में विडम्बना व त्रास की इंगित रेखाओं में भी देखते हैं। इसी के साथ ये कहानियां हमारे बदलते यथार्थबोध पर आधारित एवं विकसित हैं जो अलग किस्म की हैं। किंशुक ने समलैंगिक प्रेमानुभवों की अनदेखी सच्चाइयों को भी ईमानदार और कोमल अभिव्यक्ति दी है।
उन्होंने कहा कि हमारे समय में लेखकों की बिलकुल नई पौध के रूप में किंशुक को देखा जाना चाहिए। मूलत: लेखक होने के साथ किंशुक चिकित्सक भी हैं। वे दिल्ली के मौलाना अबुल कलाम आजाद अस्पताल में कार्यरत हैं। उनके अनुसार हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में किंशुक की कहानियां निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। इसके अलावा वे द हिंदू, द हिंदुस्तान टाइम्स, डकन हेराल्ड, आउट लुक टाइम्स आॅफ इंडिया, द क्विंट और द स्क्राल के लिए स्वतंत्र लेखन करते हैं।
किंशुक को यह सम्मान दिल्ली में इसी वर्ष अगस्त के अंतिम सप्ताह में एक समारोह में प्रदान किया जाएगा इसकी तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी।