जासूस डेस्क
नई दिल्ली। जासूसी करने में चीन कई देशों से आगे है, लेकिन जासूसी के लिए जिस तरह से वह इंटरनेट का प्रयोग करता है उससे बड़े देश भी सतर्क रहते हैं। चीन आनलाइन सब पर निगाह रखता है। एक ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन में दावा किया गया है कि वैश्विक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन आदतों पर चीन नजर रख रहा है। टिक टॉक इसीलिए विवादास्पद हो गया।

आस्ट्रेलियाई स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने बीती दो मई को एक रिपोर्ट में कहा है कि चीनी प्रचार प्रमुख सोशल मीडिया ऐप और लोकप्रिय गेम्स से व्यक्तिगत डाटा हासिल करने के लिए चीनी तकनीकी कंपनियों के साथ संबंध बना रहे हैं। बताया गया कि इनमें एक्शन गेम गेम शिन इम्पेक्ट, राइड शेयरिंग ऐप डिडी और ऑनलाइन मार्केटप्लेस टेमू शामिल है। इस अध्ययन में दावा किया गया है कि चीन का मीडिया कृत्रिम मेधा (एआई), गेमिंग और अन्य प्रौद्योगिकियों से रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण डाटा हासिल करता है।

इस अध्ययन में बताया गया कि चीन वैश्विक सूचना तंत्र को मनचाहा आकार देने के लिए दूसरे देशों में अपना प्रभाव जमाने में लगा है। वह अपनी गतिविधियों को वैध बनाने में भी जुटा है। आस्ट्रेलिया के इस अध्ययन के बाद से चीन खामोश है। अलबत्ता उसने कई विवादों को लेकर आस्ट्रेलिया पर चीन विरोधी उन्माद का आरोप लगाया है। दूसरी ओर अध्ययन में देश के नीति निर्माताओं से आग्रह किया गया है कि वे चीन के भविष्य में चलाए जाने वाले अभियानों से बचाव के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय करें।

अध्ययन में दावा किया गया है कि चीनी स्वामित्व वाले प्लेटफार्म टिक टॉक पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है। क्योंकि इसमें इस बात की चिंता है कि इसके माध्यम से एकत्र किए गए उपयोगकर्ताओं के डाटा को चीनी अधिकारियों से साझा किया जा सकता है। लेकिन समस्या सिर्फ टिकटाक तक सीमित नहीं है। दूसरी ओर टिक टॉक के मालिक बाइटडांस ने चीन सरकार से किसी भी तरह के मिलीभगत से इनकार किया है।

इसके ठीक उलट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी में आस्ट्रेलिया-चीन संबंध संस्थान के एसोशिएट प्रोफेसर मरीना झांग का कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन अतिरंजित है। उनका कहना है कि तकनीकी सहयोग होना चाहिए न कि टकराव। सहयोग ही चीन के हित में है। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की रिपोर्ट आएगी तो चीन पूरी दुनिया में अकेला पड़ जाएगा।

बता दें कि अभी पिछले साल ही आस्ट्रेलिया ने स्पष्ट किया था कि वह सुरक्षा कारणों से और निगरानी संबंधी आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए मोबाइल फोन सहित तमाम सरकारी उपकरणों पर टिक टॉक  पर प्रतिबंध लगाएगा। 

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