जासूस डेस्क
नई दिल्ली। कहते हैं कि संगत का भी बुरा असर पड़ता है। काफी दिनों से चीन से गलबहियां कर रहे मालदीव पर यह बात लागू होती है। एक छोटा सा यह देश जो खुद दूसरे देशों की मदद का मोहताज है, वह इन दिनों सैन्य ड्रोन खरीद कर तैनात करने जा रहा है। कहा तो यह भी गया कि ये ड्रोन रिहायशी इलाकों की निगरानी रखेंगे। मगर उसकी मंशा कुछ और ही है। दरअसल, इससे क्षेत्रीय स्तर पर गुप्तचरी करना चाहता है।
जो खबरें आ रही हैे उसके मुताबिक मालदीव ने चीन से दोस्ती के बाद अब तुर्किए से मित्रता कर सैन्य जासूसी ड्रोन बायरकतार टीवी-2 की खेप मंगवाई है। बता दें कि काफी समय से तुर्किए हथियार निर्माण और आपूर्ति में अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। दरअसल, मध्य पूर्वी बाजार में अपनी जगह बनाने के बाद वह एशियाई देशों में हथियार बेचना चाहता है। तुर्किए मुसलिम देशों को भी अपने ड्रोन और अन्य हथियार बेचना चाहता है। मालदीव से पहले वह इंडोनेशिया को भी बड़ी तादाद में हथियार बेच चुका है।
मालदीव को तुर्किए जिस तरह का खास ड्रोन बायर कतार टीबी-2 देने जा रहा है, उससे वह दुश्मन देशों के सैन्य स्थलों के आसपास छिप कर जासूसी कर सकता है। रक्षा विशेषज्ञ यहां तक कहते हैं कि इस तरह के ड्रोन से हिंद महासागर में भारतीय सामरिक क्षेत्र पर नजर रखी जा सकती है। जो कि चिंता की बात है। यह गंभीर बात इसलिए भी है कि मालदीव से मिल रहे तुर्किए के इस ड्रोन का लीबिया से लेकर सीरिया और कुछ अन्य देशों में इस्तेमाल हुआ है।
बायर कतार टी-2 ड्रोन अत्याधुनिक है। अपनी जासूसी क्षमताओं के लिए तो इसे जाना ही जाता है, मगर इसने आतंकवादी संगठनों के खिलाफ चलाए गए कई सैन्य अभियानों में अहम भूमिका निभाई है। सीरिया में जब तुर्किए ने सैन्य अभियान चलाया था तब अपने इसी ड्रोन का इस्तेमाल किया था। तब बायरकतार टीवी-2 ड्रोन से उसने कुर्दू लड़ाकों को ढूंढ कर खदेड़ा था। इसी तरह लीबिया की सेना ने इस खास ड्रोन का प्रयोग किया था। यही नहीं यूक्रेन पर आक्रमण कर चुका रूस लगातार इस ड्रोन का प्रयोग कर रहा है। मालदीव को किससे लड़ना है? वह इस ड्रोन का करेगा क्या। मगर माना जाना रहा है कि वह क्षेत्रीय स्तर पर गुप्तचरी करना चाहता है।