जासूस डेस्क
नई दिल्ली। इसरो जासूसी मामले की तह अब खुल रही है। यह भी सामने आ रहा है कि किस तरह से निर्दोष वैज्ञानिकों को फंसाया गया। सीबीआई इसकी तह में गई और जांच में पाया कि इस पूरी साजिश को पुलिस के ही कुछ अधिकारियों ने अंजाम दिया। जांच एजंसी ने अपनी ओर से दाखिल आरोप पत्र में साफ किया है कि मालदीव की एक महिला की भारत में अवैध हिरासत को उचित ठहराने के लिए पुलिस अफसरों ने यह सब किया। इस संबंध में पिछले दिनों सीबीआई ने पांच पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें यह आरोप लगाया गया है।

सीबीआई जांच से यह साफ हो गया है कि इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायण को झूठे मामले में फंसाया गया। इस पूरे मामले के पीछे गहरी साजिश थी। आरोपपत्र में कहा गया है कि केरल पुलिस के एक अधिकारी ने मालदीव की एक महिला की अवैध हिरासत को जायज ठहराने के लिए यह साजिश रची। क्योंकि उस महिला ने उससे संबंध बनाने से मना कर दिया था। सीबीआई ने इस कथित जासूसी मामले में नंबी नारायण और मालदीव की दो महिलाओं सहित पांच अन्य लोगों को फंसाने के लिए कई अफसरों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है।

यह आरोपपत्र जून में दाखिल किया गया था। जांच एजंसी ने अपने आरोपपत्र में एक गंभीर आरोप लगाया है कि केरल की तत्कालीन विशेष शाखा के पूर्व अधिकारी एस विजयन ने मालदीव की मरियम के हवाई टिकट और यात्रा संबंधित दस्तावेज ले लिए थे। दरअसल, पुलिस पुलिस अधिकारी विजयन को यह जानकारी मिली थी कि मरियम इसरो के वैज्ञानिक शशि कुमार के संपर्क में है। इस आधार पर उसने मरियम और उसकी सहेली फौजिया हसन पर नजर थी। इसके बाद वैध वीजा के बिना भारत में अधिक समय तक रूकने के आरोप में माफिया को गिरफ्तार कर लिया। मगर जब उसकी हिरासत समाप्त होने वाली थी तो उसे विजयन की ेक झूठी रिपोर्ट के आधार पर मरियम को दूसरे मामले में साजिश कर फंसा दिया गया।

यही नहीं मरियम की सहेली फौजिया हसन पर नजर रखी गई। इसके बाद बिना वैध वीजा के भारत में अधिक समय तक तक रुकने के आरोप में मरियम को गिरफ्तार कर लिया। मगर उसकी जब उसकी हिरासत समाप्त होने वाली थी तो उसे विजयन की झूठी रिपोर्ट के आधार पर पर मरियम को दूसरे मामले में फंसा दिया गया।

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