-वंदना मौलश्री
दिल कुछ उदास है
आंखों में कुछ नमी है।
सब कुछ है पास, पर
कुछ अजीब सी कमी है।
लड़कपन की यादें दिल में
कुछ-कुछ ऐसे जमी हैं।
हर पल तड़पता है दिल,
दोस्त तेरी यादें लाजमी हैं।
कृष्ण-सुदामा से थे हम,
फिर क्यों मन में धूल जमी है।
भूल क्या हुई मुझसे जो
पैरों में कांटे, आंखों में नमी है।
कृष्ण सदा माना तुम्हें
आज भी सुदामा हमीं हैं।
शायद तुझसे मिलने को ही
मेरी सांसें अब तक थमी हैं।
जिंदगी हाथ से रेत सी
अब फिसलने लगी है।
यार मेरे गले लग जा
यही आखिरी लगन लगी है।
मोहब्बत की यादें
तेरे बिना अधूरी पड़ी हैं।
जैसे गोकुल की गलियां
श्याम बिना सूनी पड़ी हैं।