जासूस डेस्क
नई दिल्ली। एक राजनीतिक जासूसी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय भी हुई थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि एक अल्पमत सरकार गिर गई थी। करीब चार दशक बाद ऐसी ही एक राजनीतिक जासूसी हुई पर इसकी सुर्खियां कुछ ही दिनों में गुम हो गईं। दो महीने पहले मई में तेलंगाना जासूसी विवाद ने एक बार फिर झकझोर कर रख दिया। यह एक ऐसा मामला था राज्य की पुलिस ने सत्ताधारी नेताओं, विपक्ष के नेताओं सहित उद्योगपतियों, बिल्डरों और अधिकारियों की जासूसी की। यह कथित जासूसी तेलंगाना में केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार के कार्यकाल में हुई।

यह कारगुजारी सामने नहीं आती, अगर पूर्व पुलिस उपायुक्त (टास्कफोर्स, हैदराबाद सिटी) पी राधाकिशन राव वहीं बताते। उन्होंने बीआरएस सरकार के दौरान तेलंगाना में फोन टैप करने में संलिप्तता कबूली है। बता दें कि हैदराबाद पुलिस बीआरएस शासन के दौरान नेताओं, कारोबारियों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के फोन टैप किए जाने की जांच कर रही है। पूर्व पुलिस आयुक्त के इकबालिया बयान को नामपल्ली आपराधिक न्यायालय में प्रस्तुत अन्य दस्तावेजों के साथ संलग्न किया गया है।

खबरों में बताया गया है कि कबूलनामे के मुताबिक राव ने तत्कालीन विशेष खुफिया ब्यूरो प्रमुख टी प्रभाकर के निर्देश पर नेताओं और अन्य लोगों पर निगरानी रखने में खुद के शामिल होने की बात कही है। राव ने जांच अधिकारियों को बताया कि चंद्रशेखर राव की अगुआई वाली बीआरएस सरकार के खिलाफ बोलने वालों या पार्टी के लिए खतरा माने जाने वाले किसी भी व्यक्ति पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी।

इस बात की जानकारी भी सूत्रों ने दी कि बीआरएस और विपक्ष दोनों के ही नेताओं जिन पर निगरानी की जरूरत थी उनके बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए एसबीआई के तत्कालीन डीएसपी डी प्रणीत राव को जिम्मेदारी दी गई। बताया गया कि वह कथित रूप से प्रोफाइल तैयार करता था। लोगों के फोन टैप करने के लिए एक बड़े अभियान की अगुआई करता था ताकि उन पर हर समय निगरानी रखी जा सके। फोन टैपिंग का यह मामला काफी विवादों में रहा था। इस मुद्दे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री केसीआर राव पर आरोपों की झड़ी लग गई थी।

निगरानी में कई लोग रखे गए थे। इनमें पूर्व आईपीएस आरएस प्रवीण कुमार भी शामिल थे। कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व बीआरएस नेता कारियम हरि और पूर्व विधायक महेंद्र रेड्डी पर भी नजर रखी गई। रेड्डी बीआरएस के आलोचक बन गए थे। इसी तरह कांग्रेस नेता जन रेड्डी और उनके दोनों बेटे तथा कई जिला स्तरीय नेता भी निगरानी में रखे गए थे। यही नहीं उद्योगपतियों, नौकरशाहों, बिल्डरों और पत्रकारों की गतिविधियों पर भी नजर रखी गई। इस पूरे मामले में प्रभाकर राव को मुख्य आरोपी बनाया गया। राधाकिशन राव के अलावा निलंबित डीएसपी प्रणीत राव और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एन भुजंग राव को गिरफ्तार कर लिया गया था। 

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *