जासूस डेस्क
नई दिल्ली। दुनिया के ज्यादातर देशों में सत्ता पक्ष अपने विरोधियों की जासूसी कराता रहा है। अब आजकल ब्राजील चर्चा में है। वहां संघीय पुलिस की जांच में यह आरोप सामने आया है कि ब्राजील की खुफिया एजंसी ने पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो के शासन के दौरान सांसदों, न्यायाधीशों और पत्रकारों की जासूसी की। सर्वोच्च न्यायालय के एक दस्तावेज के मुताबिक जिन लोगों की जासूसी कराई गई उनमें सर्वोच्च न्यायाधीश डी मोरास , चैम्बर स्पीकर आर्थर लीरा और साओ पाउला के पूर्व गवर्नर जोआओ डेरिया शामिल थे।

यही नहीं संघीय पुलिस के मुताबिक उन तीन सीनेटरों को भी निशाना बनाया गया, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान बोलनसारो की कार्रवाइयों की संसदीय जांच की अगुआई की थी। इसके अलावा मशहूर मोनिका बरगामो और ग्लोबो की पत्रकार वेरा मैगलहेस को भी निशाना बनाया गया। इस जांच के बाद संघीय पुलिस ने एक आपराधिक संगठन को ध्वस्त करने के लिए पांच गिरफ्तारी वारंट जारी किए। यह संगठन अवैध रूप से अधिकारियों की निगरानी करता था।  

सर्वोच्च अदालत के दस्तावेज में कहा गया है कि आपराधिक संगठन एक समानांतर सिस्टम चलाता था। पुलिस के मुताबिक आपराधिक संगठन ने नागरिकों और अधिकारियों की निगरानी के लिए कंप्यूटर, टेलिफोन और दूरसंचार के अन्य माध्यमों तक अवैध रूप से पहुंच बनाई। पिछले दिनों वारंट जारी करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बोलसोनारो का नाम पांच बार आया। जिसमें उल्लेख किया गया कि संदिग्धों में से एक ने कहा कि उसका बोलसोनारो से सीधा संपर्क है।

वैसे पूर्व राष्ट्रपति पर औपचारिक रूप से जासूसी का आदेश देने का आरोप भी है। मगर ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें कानूनी जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि यह माना गया है कि बोलसोनारो को इस जासूसी के बारे में जानकारी थी। इस जासूसी के शिकार लोगों ने गहरी नाराजगी जताई है। सीनेटर एलेसेंड्रो वियरा ने एक्स पर लिखा है कि जासूसी और आनलाइन हमले तानाशाही सरकारों की खासियत है। सीनेटर रैंडोल्फ रोड्रिग्स ने पुलिस के तथ्य सामने आने के बाद कहा कि जब ब्राजील के लोग मर रहे थे, तो पिछली सरकार टीके खरीदने के बजाय विरोधियों को सताने और उन पर नजर रखने में लगी थी। 

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