जासूस डेस्क
नई दिल्ली। एक संघीय अपील अदालत ने शोधकर्ता फेंग फ्रैंकलीन ताओ को जासूसी के आरोप में मिली सजा रद्द कर दी है। फेंग पर कैनसस विश्वविद्यालय में काम करने के दौरान चीन में किए गए अपने काम को छुपाने का आरोप था। उसे अप्रैल 2022 में वायर फ्रॉड के तीन मामलों और एक झूठा बयान देने के मामले में दोषी ठहराया गया था। जिला न्यायाधीश जूली रॉबिंसन ने कुछ महीने बाद आरोपों को खारिज कर दिया। मगर झूठे बयान के आरोप को बरकरार रखा। उन्होंने बाद में सजा सुनाई।

डेनवर स्थित दसवीं अमेरिकी सर्किट अपील अदालत ने फैसला सुनाया कि सरकार इस बात के सबूत देने में नाकाम रही कि फेंग का अपने हितों का खुलासा न करना महत्व रखता है। अपील अदालत ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह फेंग को शेष बचे मामले में बरी कर दे। दरअसल, फेंग के खिलाफ मामला ट्रंप प्रशासन की ‘चीन पहल’ का हिस्सा था। यह अमेरिकी विश्वविद्यालयों से मूल विचारों और बौद्धिक संपदा को चीन सरकार तक पहुंचाने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए शुरू किया गया था।

फेंग फ्रेंकलिन ताओ साल 2014 से 2019 के दौरान अपनी गिरफ्तारी तक कैनसस विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग में स्थायी प्रोफेसर थे। अपील अदालत ने कहा कि हालांकि यह जासूसी मामला था। लेकिन एफबीआई को आखिर तक कोई सबूत नहीं मिला।

प्रोफेसर पर आरोप था कि उन्होंने वार्षिक संस्थागत जिम्मेदारी फार्म भरते समय यह नहीं बताया कि वे प्रयोगशाला स्थापित करने और फूजो विश्वविद्यालय के लिए कर्मचारियों की भर्ती करने चीन जा रहे थे। वहां उन्हें प्रतिष्ठित पद मिलने की उम्मीद थी। संघीय आयोजकों ने फेंग पर अमेरिकी ऊर्जा विभाग को धोखा देने का आरोप लगाया। मगर 2-1 के बहुत वाले फैसले में न्यायाधीशों ने कहा कि जूरी के पास निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे कि फेंग के खुलासा न करने से कोई गंभीर नतीजे सामने आए हों। 

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