राधिका त्रिपाठी

कहावत है कि मर्द फावड़े से घर खोदे तो भी घर नहीं बरबाद कर सकता, परंतु अगर औरत सुई से ही घर खोदने लगे तो घर तबाह कर देती है। जब पतिव्रता स्त्री किसी पुरुष की जिदंगी में आती है, तो वह यमराज से भी लड़ जाती है। सुमन नई नई शहर आई थी। उसका पति मजदूर था। दिन भर मजदूरी करने पर उसे चार सौ रुपए प्रति दिन शाम को ठेकेदार से मिल जाते थे। वह सारे पैसे सुमन के हाथ पर रख कर नहाने जाता और कहता कि तुम बिंदी चोटी करके तैयार हो जाओ। हम दोनों चाट-पकौड़ी खाकर आते हैं हाट बाजार से।

सुमन चमकीली बिंदी अपने माथे पर साट कर, मांग में पीला सा सिंदूर भर कर तैयार हो जाती। साइकिल के कैरियर पर बैठ कर मानो उसके सपनों को पंख मिल जाता। वह बच्चों की तरह छोटी-छोटी मांग करती और सुख लाल तुरंत साइकिल रोक कर दुकान से जाकर खरीद लाता। कभी चाट-पकौड़ी तो कभी जलेबी तो कभी-कभी सुमन साइकिल से उतर कर सुख लाल के साथ ही समान के मोल-भाव करती। न जमने पर मुंह नाक सिकोड़ कर साइकिल पर वापस बैठ कर बोलती कि फलां चीज अच्छी थी पर दाम सही नहीं लगाया।

इसी तरह से जिंदगी चल रही थी। एक दिन काम करते हुए सुख लाल का पैर फिसला और वह कमर के बल गिर गया। उस समय जो गिरा तो फिर वह कभी अपने पैरों पर खड़ा न हो सका। घर में अनाज के लाले पड़ गए। कई दिन जब वह काम पर नहीं गया, तो ठेकेदार उसकी झुग्गी में आ गया और हाल-चाल पूछा। एक सरसरी निगाह सुमन पर डाल कर बोला, सुखी लाल तुम काम पर कब तक लौटोगे। सुखी बोला, मालिक अब क्या लौट पाऊंगा। मेरी जिंदगी तो अब इसी खाट पर ही बीतेगी। इससे अच्छा होता मैं मर ही गया होता।

… तभी सुमन आ गई और बोली, कैसी बातें कर रहे हैं। मैं कैसे रहूंगी आपके बिना। सुखी लाल बोला, ऐसे कैसे रह सकोगी मेरे साथ। मैं अब तुम्हारे कोई शौक नहीं पूरे कर पाऊंगा। यह बातें सुन कर ठेकेदार बोला जब तक तुम ठीक नहीं होते, तब तक सुमन काम कर सकती है। दूसरे दिन सुबह सुमन काम पर गई, वहां मौजूद लोगों को देखा जो काम पर लगे हुए थे। उसे अपने पति की बहुत याद आई। आज उसे अहसास हुआ कि पैसा सिर्फ पैसा नहीं होता बल्कि पुरूष के हाथों के छाले होते हैं। जो स्त्री के उन तमाम शौक को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते जिसे कभी वह अपनी आंखों से देखती है।

सुमन ने पहली मजदूरी से मंदिर जा कर प्रसाद चढ़ाया। आज पहली बार उसने सुख लाल के मनपसंद गुलाबजामुन खरीदे। घर आ कर वह सुख लाल के हाथों को अपने हाथ में लेकर चूम लिया। उसकी आंखों से आंसू अपने आप बहने लगे। दोनों काफी देर तक बिना बात किए बस लिपट कर रोते रहे। सुमन अपने हाथों से गुलाब जामुन खिलाते हुए बोली, आज से तुम मेरे पैरों से चलोगे और मैं तुम्हारी आंखों से देखूंगी ये दुनिया।

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