Hacker in a dark red hoody in front of a digital chinese flag and binary streams background cybersecurity concept

जासूस डेस्क
नई दिल्ली। कुछ महीने पहले जर्मनी में जब चीन के लिए काम करने वाले चार जासूसों को गिरफ्तार किया गया तो यूरोप की चिंता साफ दिखी। इसी दौरान ब्रिटेन में भी दो संदिग्ध हत्थे चढ़ गए तो खुफिया विशेषज्ञों ने इन मामलों को गंभीर बताया और कहा कि यूरोप ने तो इस समस्या की सतह को छुआ भर है। इस पूरे घटनाक्रम पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और तमाम आरोपों को मनगढंंत बताया था।

हाल के कुछ महीनों में चीनी जासूसों की जो गतिविधियां बढ़ी हैं उससे अब पूरा यूरोप हलकान दिखता है। ब्रिटेन, जर्मनी, बेल्जियम और नीदरलैंड चिंता जता चुके हैं। इन जगहों पर चीन के गुर्गे ऊंच पदों पर पहुंच गए हैं। लंदन में एक आरोपी तो संसदीय कार्यकर्ता था, जिसकी पहुंच उन राजनेताओं तक थी जो ब्रिटेन की चीन नीति को प्रभावित करते हैं। वहीं जर्मनी में पकड़ा गया एक आरोपी यूरोपीय संसद के एक सदस्य का सहयोगी था। वह नेता देश में लोकप्रिय हो रहे एक दक्षिणपंथी समूह से जुड़ा था।

इस मुद्दे पर जब यूरोप में चीन के खिलाफ गुस्सा उपजा तो उसने आनन-फानन में जर्मनी के राजदूत को तलब किया और कहा कि जासूसी का आरोप गलत है। उसने तमाम गिरफ्तारियों को अनुचित बताया। जर्मनी की राजदूत पैट्रिशिया फ्लोर ने एक्स पर लिखा कि जासूसी के लिए चार जर्मन नागरिकों की गिरफ्तारी के बाद मुझे विदेश मंत्रालय ने तलब किया। उधर, चीन ने इस समन की पुष्टि की। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम जासूसी में शामिल होने की बात से इनकार करते हैं।

चीन ने जर्मनी से कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाने से बचें। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि तमाम आरोप बेबुनियाद हैं। इस बीच जर्मन की राजदूत ने कहा कि उन्होंने समन का इस्तेमाल चीन को यह बताने के लिए किया कि जर्मनी अपने लोकतंत्र की रक्षा करेगा। उन्होंने चीन की सरकार को यह संदेश भी दिया कि पूरे मामले की जांच बिना किसी राजनीतिक दखल के हो रही है। हम जर्मनी में किसी की भी जासूसी बर्दाश्त नहीं करेंगे। 

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