जासूस डेस्क
नई दिल्ली। अमेरिका और पश्चिमी देशों तथा रूस के बीच सहमति बन जाने से 26 कैदियों को राहत मिली है। इनमें वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार इवा गेर्शकोविच भी शामिल हैं। उन्हें अमेरिकी खुफिया एजंसी सीआईए के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह रेडियो पत्रकार अलसु कुर्माशेवा को भी रूस से रिहा कर दिया गया। अलसु के पास अमेरिका और रूस की दोहरी नागरिकता है। इनको भी जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इसी तरह प्रतिष्ठित पुलित्जर अवार्ड से सम्मानित लेखक व्लादीमिर कारा मुर्जा को भी रिहा किया गया है। उन्हें राष्ट्रपति पुतिन का प्रबल विरोधी माना जाता है। मुर्जा को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने उनको 25 साल की सजा सुनाई थी। उधर, अमेरिका और सहयोगी देशों ने जिन कैदियों को रिहा किया, वे गंभीर अपराधों में या तो आरोपी हैं या उन्हें दोषी ठहराया गया। दूसरी ओर रूस की जेलों से ऐसे कैदियों को छोड़ा गया जो राजनीतिक वजहों से बंद थे। रूस के चंगुल से छूटे कैदियों में कुछ विद्रोही कार्यकर्ता शामिल हैं। कुछ तो दिवंगत नेता एलेक्सी नवलनी के सहयोगी हैं।
खबरों के मुताबिक अहम समझौते के तरह रूस, अमेरिका, पोलैंड, नार्वे, जर्मनी, स्लोवेनिया और बेलारूस की जेलों में बंद 26 कैदियों को राहत मिली हैं। इन्हें छोड़ दिया गया है। तेरह कैदी जर्मनी और तीन कैदी अमेरिका भेजे गए हैं। इसी तरह से दस कैदी रूस भेजे गए हैं। यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और रूस के बीच संबंध बिगड़ गए थे। तमाम तल्खियों के बावजूद एक दूसरे के नागरिकों को जेलों से रिहा करने पर सहमति बनी।
रूस से रिहा होने के बाद पत्रकार गेर्शकोविच स्वदेश लौट गए हैं। अमेरिकी नौसेना में शामिल रहे पॉल व्हेलन को भी रूस ने रिहा कर दिया है। बताते हैं कि कैदियों को रिहा कराने में तुर्किए ने बड़ी भूमिका निभाई। यही वजह है कि कैदियों की अदला-बदली अंकारा के एअरपोर्ट पर हुई। यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते खराब हो गए थे। दोनों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए थे। एक तरह से दोनों के बीच दूसरा शीत युद्ध चल रहा था।
* तस्वीर पुलित्जर अवार्ड से सम्मानित लेखक व्लादीमिर कारा मुर्जा की