-किरण यादव

इस माटी की शान लिखूं
वीरों का बलिदान लिखूं
लिखने को जब कलम उठे बस
भारत गौरवगान लिखूं

इस माटी की शान लिखूं

देश की आजादी की खातिर
लाखों वीरों की कुर्बानी
हँसते-हँसते फांसी लटके
न्योछावर कर गए जवानी
उन वीरों के त्याग तपस्या
बलिदानों की गाथाएं
पुत्रों के बलिदान पे गर्वित
उन वीरों की माताएं

सदियों तक सब याद करेंगे
उनकी अमिट निशान लिखूं

इस माटी की शान लिखूं
वीरों का बलिदान लिखूं

नेताजी का कथन खून दो,
मैं तुमको दूंगा आजादी
काला सेहरा पहन भगत सिंह
ने की थी फंदे से शादी

गर्जन अशफाक की लिखकर
शेखर की पिस्तौल लिखूं
रंग दे बसंती चोला वाले
सबसे पावन बोल लिखूं

तात्या का तप करूं नमन मैं
रानी का गुणगान लिखूं

* दिल्ली निवासी कवयित्री किरण यादव कई विधाओं में लिखती हैं। इनके पांच काव्यसंग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। 

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