आपके ई-मेल पर किसी की नजर तो नहीं
जासूस डेस्कनई दिल्ली। आपके पास ई-मेल आता है। या आप किसी को ई-मेल भेजते हैं। मगर सोचिए क्या आपका कोई ई-मेल पढ़ तो नहीं रहा? कहीं आपके लिखे शब्दों की…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
जासूस डेस्कनई दिल्ली। आपके पास ई-मेल आता है। या आप किसी को ई-मेल भेजते हैं। मगर सोचिए क्या आपका कोई ई-मेल पढ़ तो नहीं रहा? कहीं आपके लिखे शब्दों की…
साहित्य डेस्कनई दिल्ली। लाल किले पर आजादी के जश्न की तैयारी पूरी हो गई है। इसे देखने मैं स्कूल के दिनों में जाया करता था। तब दिल्ली की आबादी इतनी…
-वंदना मौलश्री मर जाओगे इक दिन यूं हीपैसे चार कमाने में।नानी याद मगर आयेगीसाथ उसे ले जाने में।। मिलते ही वो हमसे बोलातुम सा कौन जमाने में। हमसे मिलने आ…