स्वास्थ्य डेस्क
नई दिल्ली। जीवन शैली और गलत खान-पान की वजह से दिल और किडनी के रोग बढ़ रहे हैं। देश में हर साल 2.5 लाख लोगों को गुर्दा प्रत्यारोपण और डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है। इसका एक प्रमुख कारण हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारी है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें से सिर्फ सात हजार लोगों को प्रत्यारोपण और 40 हजार को डायलिसिस की सुविधा मिल पा रही है।
अभी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली (आइसीएमआर) के अध्ययन के अनुसार भारत में करीब 57 फीसद बीमारियों का कारण गलत खानपान है। भारतीयों के लिए आहार संबंधी दिशानिर्देश जारी करते हुए इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रीशियन ने कहा है कि अल्पपोषण और एनीमिया अभी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई हैं। अधिक वजन और मोटापे की समस्या गलत खान-पान के कारण बढ़ रही है।
पोषण की कमी से जूझ रहे हैं बच्चे
गाइडलाइंस में कहा गया है कि बच्चों का एक बड़ा हिस्सा पोषण की कमी से बेहाल है। साथ ही कई राज्यों में अधिक वजन, मोटापा, डायबिटीज के लक्षणों के बढ़ते खतरे से भी दो-चार होना पड़ रहा है। रिसर्च से यह भी सामने आया है कि ज्यादा वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थ अब स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों की अपेक्षा बाजार में ज्यादा आसानी से मिल रहे हैं। डब्बाबंद फूड के बारे में आक्रामक विज्ञापन और मार्केटिंग के कारण ये खाद्य पदार्थ बच्चों में ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं और उनमें बीमारी का कारण भी बन रहे हैं।
कैसी हो आपके खाने की प्लेट ?
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक संतुलित आहार में मोटे अनाज से 45 फीसद से अधिक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए। दालों, बीन्स और मांस से 15 फीसद तक कैलोरी मिलनी चाहिए। रिपोर्ट में सब्जियां, फल और कंद को खाने का आधा हिस्सा बनाने की सलाह दी गई है। दूसरा बड़ा हिस्सा अनाज और बाजरे का है। इसके बाद दालें, मांस मछली, अंडे, मेवे, तिलहन और दूध/दही आते हैं। अच्छा है यदि आप ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक भोजन का सेवन करें। (स्रोत : हील इनिशिएटिव)