साहित्य संवाददाता
नई दिल्ली। भारतीय लेखकों को पिछले दिनों भाषा सम्मान अर्पित किए गए। इस सम्मान समारोह की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह सम्मान हमारी ऋषि परंपरा का सम्मान है। यह एक तरह से भारतीय परंपरा का सम्मान है। इसे भारतीय ज्ञान का उत्सव कहा जा सकता है। कौशिक ने कहा कि इन विद्वानों ने कालजयी साहित्य को आम लोगों तक उनकी भाषा में पहुंचाने का अहम कार्य किया है। इसलिए इन सभी विद्वानों को पुरस्कृत कर साहित्य अकादेमी स्वयं को सम्मानित महसूस कर रही है।
अपने स्वागत कथन में अकादेमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने कहा कि भारत का सारा ज्ञान मनुष्य के लिए हैं। यह समाज के हर वर्ग के लिए हैं। हमारा ज्ञान वैश्विक है। इसलिए किसी भाषा का लुप्त होना किसी भी समाज की संस्कृति का लुप्त होना है। उन्होंने कहा कि इन वाचिक भाषाओं के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
साहित्य अकादेमी के इस समारोह में कालजयी साहित्य 2021 उत्तरी क्षेत्र के लिए पुरुषोत्तम अग्रवाल को सम्मानित किया गया। दक्षिणी क्षेत्र के लिए बेतुवोलु रामब्रमिम को प्रदान किया गया। वहीं अवतार सिंह को मध्यकालीन साहित्य के क्षेत्र में 2023 का और के जी पौलोस को दक्षिणी क्षेत्र के लिए सम्मानित किया गया। लेखक दुर्गा चरण शुक्ल को बुंदेली भाषा और साहित्य की समृद्धि में अहम योगदान के लिए 2023 का भाषा सम्मान अर्पित किया गया। वहीं मिजो भाषा और साहित्य में योगदान के लिए रौजमा चौडथू और ससरोना को सम्मानित किया गया। दुर्गा चरण शुक्ल इस सम्मान को ग्रहण करने नहीं आ सके।
भाषा सम्मान के अंतर्गत विद्वानों को एक लाख रुपए, ताम्रफलक और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। यह सम्मान साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने प्रदान किए। इस अवसर पर भाषा विद्वानों ने अपनी सृजन यात्रा के अनुभव बताए।