-वंदना मौलश्री
हिंदी मेरा देश है,
मेरा हिंदी वेश है।
मां से सीखा राग है,
हिंदी ही अनुराग है।
भावों की भाषा हिंदी है,
माथे की बिंदी हिंदी है।
सूरज की आभा हिंदी है,
शीतल सा चंदा हिंदी है।
नदियों की धारा हिंदी है,
धरती का आंचल हिंदी है।
वेदों से निकली हिंदी है,
संस्कृत की बेटी हिंदी है।
हम सब का गौरव हिंदी है,
भारत की भाषा हिंदी है।