टीवी एंकर कैसे बन गए गए ‘फैंकर्स’
साहित्य डेस्कनई दिल्ली। भारतीय पत्रकारिता का जब नया इतिहास लिखा जाएगा तब उसमें प्रिंट से अधिक दृश्य मीडिया का अध्याय कहीं बड़ा होगा। यह अध्याय बताएगा कि किस तरह एक…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
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जासूस डेस्कनई दिल्ली। अरसे बाद कोई ढंग की जासूसी फिल्म आई है। नाम है-बर्लिन। लेकिन यह बस नाम भर के लिए है क्योंकि इसका बर्लिन से कोई लेना-देना नहीं है।…
हेल्थ डेस्कनई दिल्ली। सर्दियां आते ही खांसी-जुकाम की समस्याएं शुरू हो जाती है। कई बार समस्या साधारण होती है जो कुछ समय में ही ठीक हो जाती है, लेकिन जब…