जासूस डेस्क
नई दिल्ली। अरसे बाद कोई ढंग की जासूसी फिल्म आई है। नाम है-बर्लिन। लेकिन यह बस नाम भर के लिए है क्योंकि इसका बर्लिन से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं सबसे अच्छी बात यह है कि इस फिल्म के निर्देशक अतुल सभरवाल ने जासूसी की दुनिया को भारत-पाकिस्तान पर केंद्रित करने के बजाय रूसी राष्ट्रपति के कत्ल की साजिश की कहानी को आधार बनाया है। इसी के साथ देश की खुफिया एजंसी में चल रही राजनीति और नौकरशाही का भी चित्रण किया है।
कहानी बर्लिन कॉफी हाउस की है, जहां खुफिया बातचीत को राज रखने के लिए मूक-बधिर लोगों का इस्तेमाल होता है। कहानी जासूसी पर आधारित है। दौर है 1993 का। जगदीश सोढ़ी (राहुल बोस) खुफिया एजंसी में सोवियत डेस्क का हेड है। उसने एक मूक-बधिर युवक अशोक (इश्वाक सिंह) को गिरफ्तार किया है। जगदीश की नजर में अशोक संदिग्ध जासूस और कातिल है। दरअसल, वह 1993 में रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की उस समय हत्या की साजिश रचने आरोप है, जब वे भारत दौरे पर आए थे। अशोक पर खुफिया एजंसी के एक जासूस की हत्या कराने का भी आरोप है।
चूंकि अशोक मूक-बधिर है तो उससे पूछताछ के लिए मूक-बधिर विद्यालय के शिक्षक पुश्किन वर्मा (अपारशक्ति खुराना) को बुलाया जाता है। इसके बाद आरोपी से पूछताछ शुरू होती है। आरोपी से पूछताछ के क्रम में जासूसों के काम करने का तरीका और खुफिया विभाग का आंतरिक चेहरा सामने आता है। धीरे-धीरे पुश्किन वर्मा इस पूछताछ के क्रम में खुद को खतरनाक साजिश में फंसा पाता है। पता चला कि जासूसी विभाग उसका इस्तेमाल कर रहा है। फिर भी पुश्किन अशोक की सच्चाई जानने में जुटा रहता है।
इस जासूसी फिल्म में किरदारों ने शानदार अभिनय किया है। मूक बधिर शिक्षक के रूप में अपारशक्ति खुराना ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया है। आरोपी अशोक का इश्वाक ने दमदार अभिनय किया है। राहुल बोस ने एक तेज-तर्रार जासूस को पर्दे पर जीवंत कर दिया है। हर दृश्य क्रमबद्ध है। किसी भी दृश्य को आप देखे बिना छोड़ नहीं सकते। तो जरूर देखिए बर्लिन की जासूसी दुनिया।