साहित्य डेस्क
नई दिल्ली। किसी अन्य भाषा के साथ प्रतिस्पर्धा किए बिना देश में हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ाने की जरूरत है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शााह ने पिछले दिनों हिंदी पखवाड़े से पहले संसदीय समिति की बैठक में यह बात कही। समिति को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से लाई गई नई श्क्षिा नीति मे प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा में देने पर जोर दिया गया है। इसकी वजह है कि मातृभाषा में प्राथमिक श्क्षिा मिलने पर बच्चे कई भाषाओं से जुड़ जाते हैं।

गृहमंत्री ने कहा कि  किसी भी भारतीय भाषा से प्रतिस्पर्धा किए बिना हमें हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिंदी रोजगार और तकनीक से जुड़ गई है। केंद्र सरकार भी हिंदी भाषा को तकनीक को जोड़ने का प्रयास कर रही है। शाह ने कहा कि संसदीय समिति की लगातार यह कोशिश रही है कि हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सहेली बने। उसकी किसी से प्रतिस्पर्धा न हो। उन्होंने संसदीय समिति को बताया कि राजभाषा विभाग एक ऐसा सॉफ्टवेयर ला रहा जिससे आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं का अपने आप तकनीकी आाधार पर अनुवाद हो जाए। इससे कामकाज तेजी से हो सकेगा।  

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